आपने पोस्ट का टाइटल तो पढ़ ही लिया होगा कि यह पोस्ट किसी बाबा रामदास के ऊपर होगी,आपमें से अगर कोई इनसे परिचित पहले से ही है तो कमेंट में बताइयेगा।आज हम बात करने वाले है एक ऐसे सक्श की जिसे भारत की आध्यात्मिक हवा ने पूरी तरह बदल दिया।
इनका भारत से कोई ताल्लुक नहीं था न ही ये भारत के बारे में ज्यादा जानते तब भी एक विदेशी प्रोफेसर अचानक से अध्यात्म में कैसे आया और पूरी तरह भारतीय संस्कृति में रच बस कर राम दास बन गए।
चलिए जानते है बाबा रामदास के बारे में और जानेगे की बाबा नीम करोली का इनके जीवन में क्या भूमिका थी।
बाबा राम दास कौन थे:-
अमेरिका के एक यहूदी परिवार में सन 1931 में जन्मे राम दास या कहे बाबा रामदास जिनका असली नाम था रिचर्ड एलपर्ट एक आध्यात्मिक गुरु के साथ-साथ मनोवैज्ञानिक थे। वे हारवर्ड यूनिवर्सिटी में मनोविज्ञान के प्रोफेसर रहे।
रिचर्ड एलपर्ट( बाबा रामदास) को हारवर्ड से निकाला गया :-
रिचर्ड एलपर्ट (बाबा रामदास) ने मनोविज्ञान के क्षेत्र में काफी शोध किया। उन्होंने मानव चेतना पर शोध करने लिए हारवर्ड यूनिवर्सिटी के अपने साथी डॉ.टिमोथी लियरी,राल्फ मेट्ज़नर,अलड़ौस हक्सले और एलन गिन्सबर्ग को चुना और इन सब के साथ मिलकर काफी गहन शोध किया।
इस गहन शोध के दौरान उन्होंने कई ड्रग्स जैसे psilocybin, LSD-25 और अन्य साइकेडेलिक रसायन आदि पर शोध किया जिसे दो बुक्स में प्रकाशित किया गया। इस विवादास्पत शोध के कारण रिचर्ड एल्पेर्ट और टिमोथी लियरी को हॉवर्ड यूनिवर्सिटी से 1963 में निकाल दिया गया।
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रिचर्ड से बाबा रामदास तक का सफर:-
रिचर्ड एल्पर्ट 1967 में भारत घूमने आये यहाँ उनकी मुलाकात बाबा नीम करोली से हुई। बाबा ने उन्हें देखते हुए उनके बीते जीवन से जुड़ी कुछ बातें बताई जिससे रिचर्ड काफी हैरान हुए,उन्होंने बाबा को LSD ड्रग दिया जिसका बाबा पर कोई असर नहीं हुआ। इस सब से रिचर्ड काफी हैरान हुए।
सौजन्य:-www.ramdas.org
नीम करोली बाबा जिन्हे आदर और प्रेम से लोग महाराज जी कहकर बुलाते थे,उनका रिचर्ड के जीवन में काफी प्रभाव पढ़ा। बाबा नीम करोली जी ने ही रिचर्ड को बाबा रामदास का नाम दिया जिसका का अर्थ होता है "ईश्वर का सेवक या दास"।
इसके बाद मानो रिचर्ड का जीवन पूरी तरह से बदल गया था उन्होंने अध्यात्म की राह को जीवन की राह बना दिया,उन्होंने अपने अनुभव एक किताब "Be Here Now" में लिखे।
बाबा रामदास के जीवन के कार्य,सेवा(आध्यात्मिक सेवा):-
बाबा रामदास को आध्यात्मिक पहचान मिलने के बाद से लेकर जीवन के अंत तक लोगो का मार्गदर्शन करते रहे जो लाखो लोगो को अध्यात्म की राह दिखाने के साथ साथ सभी बंधनो से मुख्त होकर ईश्वर की सेवा की राह दिखाती रही।
बाबा राम दास हनुमान जी के बड़े भक्त थे ,हनुमान जी पर उनकी भक्ति केंद्रित हो गयी इसे भक्ति योग कहा गया इस भक्ति योग में राम दास समाते गए। इसके बाद उन्होंने थेरवादिन,महायान तिब्बती और जैन व् बौद्ध विद्यालयों के बाद उन्होंने सूफी और यहूदी के रहस्यमय अध्यन में आगे बढे।
बाबा राम दास के जीवन का सार रहा कर्म योग, आध्यात्मिक ज्ञान से काफी लोग प्रभावित हुए और सभी लोगो को बाबा राम दास ने आध्यात्म पथ से जोड़ा।
हनुमान फाउंडेशन की रखी नीव:-
सन 1974 में बाबा राम दास ने हनुमान फाउंडेशन की नीव रखी,जो एक नॉन प्रॉफिट आर्गेनाइजेशन है,यह संस्था लोगो के मन में सेवा भाव को बढ़ावा देने के लिए काम करती है। इस संस्था में आगे बो और सीता लोज़ोफ ने निर्देशन का काम करना शुरू करा।
इनके निर्देशन में संस्था ने प्रिजन आश्रम प्रोजेक्ट पर काम किया जिसका उद्देश्य जेल में बंद कैदियों के जीवन में आध्यात्म द्वारा बदलाव लाकर उन्हें बदलने का प्रयास किया गया।
राम दास जी के सम्मान में अंतिम शब्द:-
बाबा रामदास जी का देहांत 22 दिसंबर 2019 को मुई में अपने घर में हुआ पर उनके दिए हुए एक एक पाठ और उनकी बताई हर सीख आज भी उनके लाखो अनुयाइयों के जीवन में सजीव है इस तरह बाबा राम दास आज हमारे बीच न होते हुए भी जीवित है।
उनके द्वारा बनाये गए संगठन उनकी बताई सीख को दुनिया में सभी तक यूँही पहुंचाते रहेंगे।
आशा है आपको अब समझ आया होगा आखिर बाबा राम दास कौन थे और उन्हें किस तरह बाबा नीम करोली जी का आशीर्वाद मिला जिसने उनकी जीवन की राह बदली और दुनिया में उन्होंने लोगो को अध्यात्म की राह दिखाई।आपको लेख अच्छा लगा हो तो शेयर करे,अपने सुझाव नीचे कमेंट में जरूर बताये।
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